पुत्र, पति और पिता – Dude to Dad – Life is an Art of Balance – Wedding Anniversary Special

दोस्तों ये जो रिश्तों का बंधन है, अपने आप में विचित्र है, ये हसास और भावनाओं का मेलजोल है और इस बंधन का संतुलन बनाना जो सीख जाए उसका जीवन धन्य है

जीवन का कटु सत्य यह है कि कुछ लोग इस संतुलन को जल्दी बना लेते है, कुछ काफ़ी समय बाद और कुछ कभी नहीं बना पाते।

हम सभी नारी सम्मान और नारी उत्थान पर बहुत समय से सुनते और पढ़ते रहे है, देश आगे बढ़ रहा है और हर्ष की बात है कि नारियों को अब उनका पूरा हक़ मिल रहा है, परंतु पुरुष का योगदान जो रिश्ते, समाज, ग्रहस्थी बनाने और निभाने में है उसको भी हमें सराहना चाहिए, ये कहना अगर सही है कि नारी सहनशीलता का दूसरा नाम है तो पुरुष भी क़ुर्बांनियों का जीता जागता उदाहरण है

आज हम बात कर रहे हैं ख़ास रिश्तों की जो हर घर की बुनियाद होते हैं, पुत्र, पति और पिता, इंसान एक और ज़िम्मेदारियाँ अनेक और इन ज़िम्मेदारियों में सामंजस्य बैठाना ही सुखी विवाहित और पारिवारिक जीवन की कुंजी है, हमको शांत मन से सिर्फ़ कुछ बातों का ख़्याल रखना है

पुत्र धर्म :

माता और पिता ने जो धैर्य हमें पालने और पोसने में दिखाया वही धैर्य हमें उनके साथ व्यवहार और उनकी देखभाल में दिखाना है, मान लीजिए तब हम बच्चे थे और आज कई बातों में उनका बचपना भी लाज़मी है बचपन में हमारी कितनी ही नादानियों को हमारे माता पिता ने सुधारा और नज़रंदाज़ किया और आज उनके जीवन के इस पड़ाव में उनकी हर सम्भव मदद करना हमारा कर्तव्य है क्यों कि उनका हम पर वो ऋण है जिससे हम कभी उऋण नहीं हो सकते, माता पिता से तर्क करिए पर शालीनता और सम्मान के साथ, ये समय का चक्र है मित्रों, आज उनका कल हमारा होगा भविष्य में किसके क्या लिखा है ये किसी को नहीं पता परंतु इतना तो मेरा विश्वास है की जिसने अपने माता पिता का ख़्याल रखा उनको सुख की अनुभूति करायी उसको दुआओं की कभी कोई कमी नहीं होगी और उसका कठिन समय भी सरलता से गुज़र जाएगा

पति धर्म :

एक पुत्र होने के बाद जब आप पति बनते है तो मान लीजिये कि आपकी दुनिया बिल्कुल बदल जाती है, आप पर हक़ जताने का अधिकार विवाहोपरांत अब आपकी पत्नी को भी प्राप्त हो जाता है आपकी पत्नी कितनी ही पढ़ी लिखी हो, कितना ही अच्छे परिवेश में पली हो परंतु वो आपके घर के माहौल से तो वाक़िफ़ नहीं हो सकती, लिहाज़ा आपकी ज़िम्मेदारी है की आपकी पत्नी घर के किसी भी सदस्य के बारे में अपनी राय बनाने से पहले सबको आपके नज़रिये से जान ले, यहाँ आपने देरी की तो ग़लत राय और गलतफहमियों का दौर यहीं से शुरू हो जाएगा, यही ज़िम्मेदारी आपको अपने परिवार से दूसरे सदस्यों के साथ भी निभानी है, अर्थात् अपनी पत्नी के सदव्यवहार और आचरण का भी आपको प्रवक्ता बनना है, ऊपर से अगर आपने प्रेम विवाह किया है तो सारी ज़िम्मेदारी आपकी ही है

सावधान मित्रों, आपसी समझदारी, व्यवहारकुशलता और रिश्तों में संतुलन बनाने के ये वो चंद महीने हैं जो आपके जीवन में आने वाले स्वर्गीय और नारक़ीय  पलों का निर्धारण करेंगे

आपकी पत्नी अपना सब कुछ छोड़ कर एक नये माहौल में आयी हैं और यहाँ आप ही उनके सबसे बड़े मित्र और मार्गदर्शक हैं, अपनी पत्नी के जज़्बात परिवार के साथ और परिवार के जज़्बात अपनी पत्नी के साथ, इन जज़्बातों का सही और संतुलित आदान प्रदान शुरू के कुछ महीनों में अगर आपने कर लिया तो आपका स्वर्ग आपकी पत्नी और परिवार के साथ आपको यहीं प्राप्त हो जाएगा

माता और पत्नी में से किसको चुनना है इस चक्कर में कभी मत फँसिएगा क्यों कि अगर पत्नी को चुना तो आप आजीवन कभी मन से खुश नहीं रह पायेंगे और अगर माता को चुना तो ग्रहस्थी नहीं चला पाएँगे, माता आपको इस दुनियाँ में लायीं तो पहला हक़ उनका और पत्नी बाद में आयी तो दूसरा हक़ उनका, परंतु आपकी पत्नी को समझना है कि यहाँ पहले और दूसरे हक़ में बराबरी की बात नहीं है, बात है सिर्फ़ प्यार और सम्मान की

एक बात में दिल से कहना चाहता हूँ कि आपकी पत्नी को ये बात समझनी है और आपको अपने व्यवहार से समझानी है कि जो इंसान अपने माता पिता और परिवार से इतना प्यार करता है वो अपनी पत्नी और बच्चों से कितना प्यार करेगा, यहाँ प्यार बाँटना नहीं बढ़ाना है

साथ ही आपको भी ये बात समझनी है कि जो सम्मान और व्यवहार आप अपनी पत्नी से अपने माता पिता और परिवार के लिए चाहते हैं, वही सम्मान और व्यवहार की मिसाल आपको अपनी पत्नी के माता पिता और परिवार के साथ पेश करनी होगी और अगर आप दोनों ये जज़्बातों का आदान प्रदान दिल से कर पाए तो आप दोनों को दो परिवारों का भरपूर प्यार और सम्मान मिलेगा

एक बात और नए रिश्ते में अगर छोटी बातों और छोटी ख़ुशियों का ख़्याल रखेंगे तो बाद में बड़ी बड़ी गलतफहमियाँ भी नज़रंदाज़ हो जाएँगी और आपका रिश्ता ताउम्र मज़बूत रहेगा

पिता धर्म :

इस पर ज़्यादा ज्ञान तो नहीं दे पाऊँगा परंतु जैसा अपने पिता जी को हमारी परवरिश करते देखा है वही संस्कार अपने बच्चों को देने की कोशिश जारी है, इतना ज़रूर पता है कि बच्चे बताने, सिखाने से कम और देखकर ज़्यादा सीखते हैं, आपके घर में कैसा माहौल है, आपस में कैसा व्यवहार है, एक दूसरे के प्रति कितना प्यार और सम्मान है, ये सब आपके बच्चे खुद देखकर सीख रहे हैं, और आपके माता पिता के साथ आपका कैसा व्यवहार है, वही व्यवहार वो आपके प्रति अपना रहे हैं बच्चों को अच्छी शिक्षा तो आप बड़े से बड़े स्कूल में दिला सकते हैं पर व्यवहारकुशलता और बड़ों के प्रति सम्मान वो आपको देखकर ही सीखेंगे

आज मेरी शादी की १४ वीं (14th) सालगिरह है और मेरी पत्नी के साथ दोस्ती को २० (20) वर्ष हो गए, हमने अपने जीवन में सारे ऊतारचढ़ाव साथ मिलकर बड़े क़रीब से देखे हैं, मैंने अपने जीवन में भगवान, मेरे परिवार, बुजुर्गों और अपने चाहने वालों के आशीर्वाद से बहुत कुछ पाया है और मैं तहेदिल से सबका शुक्रगुज़ार हूँ

मैं मानता हूँ कि मैंने अपने जीवन में कई ग़लतियाँ भी की हैं परंतु देर से ही सही, हर गलती से सबक़ लिया और कुछ ना कुछ सीखा है, इसलिए आज समय जैसा भी है, जीवन में प्यार है, परिवार है और ठहराव है

समय अनमोल है और समय का चक्र सब कुछ दिखाता है, विनम्र रहकर कार्य करते रहिए, प्यार करते रहिए, राह आज नहीं तो कल, मिलेगी ज़रूर

आज बड़े दिनों बाद अपने ब्लॉग के लिए कुछ लिखा है, ये शब्द मेरी पत्नी भारती और परिवार के प्यार को समर्पित हैं, आशा है आप दिल से दिल की बात समझेंगे

आपका मोहित #mohit24x7 #YeJindgiNaMilegi2obara
Pls. excuse typo errors.

Twitter : @mohit24x7 Instagram : visatowalk

 

 

कैसा है ये गठबंधन ?

अभी कल ही सुनने में आया कि सपा बीजेपी को रोकने के लिये बसपा से हाथ मिलाने को तैयार हैं, अगर ऐसा हुआ तो कांग्रेस का क्या होगा ? क्या बीजेपी को रोकने के लिये तीनों पार्टियां हाथ मिला लेंगी ?

क्या कभी सोचा है कि ये सब क्यों हो रहा है, क्या ये बीजेपी सरकार की नीतियों का असर है या फिर पार्टियों के स्वयं के अस्तित्व को बचाने की जंग है ।

नोटबंदी, जिसका विरोध ज्यादातर राजनीतिक पार्टियों ने किया, कुछ राजनेताओं ने तो बड़ा हल्ला गुल्ला किया जैसे उनके घर ही सेंध लग गई हो, का असर उल्टा ही नजर आ रहा है, जनता हर जगह बीजेपी शीर्ष नेतृत्व के साथ खड़ी दिख रही है । 

बताया गया था कि नोटबंदी से भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर की रीढ़ टूट जायेगी पर सभी आंकलन गलत सिद्ध हुए । अर्थव्यवस्था की दर में निम्न दर्शित वृद्धि हुई : 

क्या कारण है कि विकास के पथ पर अग्रसर बीजेपी सरकार को नये-२ हथकंडे अपनाकर रोका जा रहा है, अब तो एक नया चलन प्रचलन में है कि जो भी बीजेपी सरकार की नीतियों या उनके कार्यों की तारीफ करे वह बीजेपी या संघ समर्थक कहलाता है । आतंकवादियों की फॉंसी का विरोध करने वालों, उनकी विचारधारा का समर्थन करने वालों और यहां तक कि देश विरोधी नारे लगाने वालों को अपने विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता भारत में है पर बीजेपी सरकार के कार्यों की सराहना करने से आप संघी हो जाते हैं, आपको “राष्ट्रवादी” – एक गाली के रूप में कहा जाता है । 

कौन फैला रहा है ये भ्रम ? क्या है इनका उद्देश्य ? क्या राष्ट्रविरोधी नारे लगाने वाले और उनसे राजनीतिक फायदे उठाने वाले समर्थक यह तय करेंगे कि राष्ट्रवाद की परिभाषा क्या है ?

स्वतंत्र मानसिकता का मतलब यह बिल्कुल नहीं होना चाहिये कि हम अपने देश से ऊपर किसी देशद्रोही को समझें और जो दिख रहा है उसके भी सबूत की मांग करें ।

हमारे देश की सेना हमारा गौरव है पर उनके ऊपर भी सवाल उठाना, कहां तक जायज है ? क्या सेना को जो बीजेपी सरकार ने यथोचित कार्यवाही करने की छूट दी है वो कई पार्टियों को हजम नहीं हो रही ….

क्या है असली सच्चाई ? क्या प्रधानमंत्री अपने आने वाली सात पीढियों के लिये घपले और घोटाले कर रहे हैं ? क्या स्वार्थ है उनका ?

जरा सोचिये, जल्द ही फिर कलम चलेगी ।

शुभ संध्या ।

आपका – मोहित 

नोट बंदी और गुमनाम सजा – जगजाहिर हुई नेताओं की बौखलाहट !

Referring to problems faced by common men due to conversion of currency notes of Rs 1000/500 (my personal opinion – have faced it already)


अब देश में आर्थिक और सामाजिक सुधार लाने के लिये थोड़ी परेशानी तो झेलनी पड़ेगी । जियो सिम के लिये लाईन में लग सकते हैं, वोटर आईडी/आधार कार्ड/ पासपोर्ट/क्रिकिट मैच के टिकट/नये फोन लॉंच के लिये लाईन में लग सकते हैं । हम बड़े बड़े मंदिरों, दरगहों में स्वेच्छा से लाईन में लग सकते हैं, फिर यहां हंगामा क्यों ?

जब नया फ्लाईओवर बनता है तो इलाके की जनता को २-३ साल परेशानी उठानी पड़ती है, जाम लगते हैं तो क्या इन परेशानियों की वजह से फ्लाईओवर बनने बंद हो जायें या देश की प्रगति रूक जाये, फिर ये तो थोड़े दिन की परेशानी है । 
आज जितने भी लोग लाईन में लग रहे हैं उनमें से सिर्फ १०% को जरूरत है बाकी सब सिर्फ भीड़ बढा़ रहे हैं, या किसी और के पैसे चेंज करा रहे हैं, सबके पास बैंक अकाउंट हैं क्रैडिट नहीं तो डैबिट कार्ड सबके पास है, आज के युग में सब कुछ आनलाईन मिल रहा है । ३१ दिसंबर तक का समय है, लाईनों में भीड़ बढाकर हम जिनको असल में जरूरत है उनकी मुश्किलें बढ़ा रहे हैं ।

बार्डर पर अपने जवानों को गोली के बदले गोली मिलती है, लाईन में तो नोट के बदले नोट मिल रहे हैं फिर इतना हो-हल्ला और अफरातफरी क्यों ?? टैररिस्ट फंडिंग बंद, काला धन मिट्टी, जाली नोट खत्म पर हां राजनेताओं की दुखती रग दब गई है, पहले समझ नहीं पा रहे थे समर्थन करें या विरोध, अब कुछ बाहर आकर नये तरीकों से विरोध दर्ज कर रहे हैं ।

आप लोग देख रहे होंगे कि आम आदमी परेशान होने के बावजूद इस ऐतिहासिक फैसले पर सरकार के साथ है परन्तु कुछ राजनेताओं का दर्द बार बार आम आदमी की परेशानी की आड़ लिये चैनलों पर साफ झलक रहा है । नई नई अफवाहें फैलाई जा रही हैं, कभी नमक मंहगा हो गया या फिर किसी ने आत्महत्या कर ली या किसी को हार्टअटैक हो गया आत्महत्या या हार्ट अटैक का असली कारण तो जॉंच के बाद ही पता चलेगा, इतनी जल्दबाजी क्यों ?

बस यही आपको समझना है कि किसका बयान किस लिये और क्यों आ रहा है, भ्रष्टाचार की खिलाफत करने वाले जब खुद फंस गये हैं तो इस फैसले को लागू करने के तरीकों पर सवाल उठा रहे हैं, कुछ समय मांग रहे हैं, कुछ इसकी खिलाफत कर रहे हैं ।


थोड़ी कमियां किर्यान्वन में आ रही हैं पर ये भी तो देखिये कि इसके कितने दूरगामी परिणाम आने वाले हैं ।
थोड़ा सब्र और सहयोग इस मिशन को सफल बना रहा है, सहयोग करते रहिये, देश हम सबका है और जनता के ठेकेदारों से ज्यादा आज खुद जनता ज्यादा जानती है कि क्या उनके लिये सही है और क्या गलत ।
सोच बदलो, देश बदलेगा ।
जय हिंद ।


मोहित कुमार शर्मा 😊🙏

जनता के ठेकेदार – कुशासन पर तंज

डेंगू चिकनगुनिया की चपेट में एनसीआर, 

बदहाली फैल रही, आम आदमी है लाचार ।

राजनेता कर रहे चर्चा, कुछ हो गये फरार,

चैनलों पर देख लो वही आरोप प्रत्यारोपों की बहार ।

कोई नहीं समझ रहा आम आदमी का दर्द,

सब हो गये लापता जो बन रहे थे मर्द ।।

“उपरोक्त मर्म आम जनता को ठगने वाले राजनीतिक ठेकेदारों के कुशासन पर तंज है ।”

उम्मीद ! किससे और क्यों ?

​उम्मीदों से बंधा एक जिद्दी परिंदा है, इंसान । जो घायल भी उम्मीदों से है और, जिन्दा भी उम्मीदों पर है ।।

“रात के समय एक दुकानदार अपनी दुकान बन्द ही कर रहा था कि एक कुत्ता दुकान में आया, उसके मुॅंह में एक थैली थी, जिसमें सामान की लिस्ट और पैसे थे …

दुकानदार ने पैसे लेकर सामान उस थैली में भर दिया …

कुत्ते ने थैली मुॅंह मे उठा ली और चला गया …

दुकानदार आश्चर्यचकित होकर कुत्ते के पीछे पीछे गया ये देखने की इतने समझदार कुत्ते का मालिक कौन है ….

कुत्ता बस स्टाॅप पर खडा रहा, थोडी देर बाद एक बस आई जिसमें चढ गया ..

कंडक्टर के पास आते ही अपनी गर्दन आगे कर दी, उस के गले के बेल्ट में पैसे और उसका पता भी था ..

कंडक्टर ने पैसे लेकर टिकट कुत्ते के गले के बेल्ट मे रख दिया ..

अपना स्टाॅप आते ही कुत्ता आगे के दरवाजे पे चला गया और पूॅंछ हिलाकर कंडक्टर को इशारा कर दिया और बस के रुकते ही उतरकर चल दिया …

दुकानदार भी पीछे पीछे चल रहा था …

रात ज्यादा हो गई थी, कुत्ता घर पहुँचा और घर का दरवाजा अपने पैरों से २-३ बार खटखटाया …

अन्दर से उसका मालिक आया और लाठी से उसकी पिटाई कर दी ..

दकानदार ने मालिक से इसका कारण पूछा .. ??

मालिक बोला .. “इसने मेरी नींद खराब कर दी, दरवाजा सुबह नहीं खटखटा सकता था, गधा”

जीवन की भी यही सच्चाई है ..

आपसे लोगों की अपेक्षाओं का कोई अन्त नहीं है ..

जहाँ आप चूके वहीं पर लोग बुराई निकाल लेते हैं, सच्चाई जानने का प्रयास भी नहीं करते हैं कोई बताना चाहे तो भी नजरंदाज कर देते हैं यहां तक कि एक मौका भांपकर पिछली सारी अच्छाईयों को भूल जाते हैं ।

इसलिए अपने कर्म अपने हिसाब से करते चलो, चाहे आपके अपने हों या फिर अन्य समाज के लोग, कोई भी आपसे कभी संतुष्ट नहीं हो पायेंगे ।।”

Story shared, feelings added.

Mohit K Sharma

हाँ मैं मथुरा नगरी हूँ ।

हाँ मैं मथुरा नगरी हूँ, घायल हूँ सत्ता की चोटों से, कैसे कहूँ वेदना अपनी इन झुलसाये होठों से,

मैं तो प्रेम रंग में डूबी मदमस्तों की नगरी थी, होली के रंगों में छायी प्रेम सुधा की बदरी थी,

वंशीवट पर बजी बांसुरी, मैं खुल कर इठलाई थी, मैं कान्हा के बाल रूप पर मंद मंद मुस्काई थी,

मैं मीरा का प्रेम ग्रन्थ थी, सूर दास की स्याही थी, वासुदेव की लीलाओं की पावन एक गवाही थी,

मैं यमुना के निर्मल तट पर ग्वालों के संग झूमी थी, गोवर्धन से वृन्दावन तक कृष्णप्रेम में घूमी थी,

लेकिन आज बहुत घायल हूँ, ह्रदय कष्ट में रोया है, कांधों पर अपने मैंने चौबीस लाशों को ढोया है,

लुटी पिटी हूँ, पूछ रही हूँ लखनऊ के सरपंचो से, मेरा सीना क्यों घायल है कट्टों और तमंचो से,

मोहन की मुरली को आखिर किसने चकनाचूर किया, किसने दो सालों तक गुंडों को सहना मंजूर किया,

लगता है अपने ही गुर्गे पाल रहे थे कुछ नेता, रामवृक्ष की जड़ में पानी डाल रहे वो नेता,

क्या कारण था, मथुरा की रखवाली नही करा पाये, दो सालों से बाग़ जवाहर खाली नही करा पाये,

जिस में सारी खीर पकी है, बोलो वो बर्तन किसका था, दो सालों तक इसके पीछे मौन समर्थन किसका था,

20 20 लाख में दो वर्दी वालों का मरण भुलाया है, मजहबी रंग देकर कोई मरा तो, पूरा कोष लुटाया है,

ना सिर्फ पंडित, यादव, ना वो वोट बैंक के बिंदू थे, जो कुर्बान हुए वो वर्दी वाले इसी देश के बंधु थे,

मजहबी होता गर ये रंग, सत्ता की रूह तक फट जातीं, चार फ़्लैट, रुपये करोड़, नौकरियां भी बंट जातीं,

अब कहे, क्या होत वर्दी की यही कहानी है, खुद नेता का हुक्म बजाएं, खुद देनी कुर्बानी है,

कब तक चलेगा खेल ये भईया, जवाब तो अब देना है, आने वाले चुनाव हैं सर, गिन गिन कर हिसाब लेना है ।।

शहीद होने वाले एसपी श्री मुकुल द्विवेदी जी एवं एसओ श्री संतोष यादव जी को भावभीनी श्रद्धांजली 😔🙏

POSITIVE PARENTING – Future in making

मैंने पवन गुरूजी जी का संल्गन लेख पढ़कर कुछ कमियाँ अपने अंदर पायीं हैं और मैं उनको सुधारूंगा … आप भी जरूर पढ़िये, अगर आपको कोई कमी न मिले तो आप वाकई में अच्छे अभिभावक साबित हो रहे हैं और बधाई के पात्र हैं ।

  
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम इतने व्यस्त हैं कि कभी कभी चाहकर भी बच्चों की तरफ पूरा ध्यान नहीं दे पाते, बच्चों के मन की बात न समझना, उनकी शिकायतों पर बिना सोचे समझे रिएक्शन देना, हर ख्वाहिश आसानी से पूरा करना, उनके झूठ को उनकी उपलब्धि या बालपन बताना । 

स्कूल या ट्यूशन में बच्चे की परफॉरमेंस के लिये पूरी तरह से टीचर को जिम्मेदार ठहराना, बच्चों की जिद के आगे हमेशा मान जाना, दुसरे बच्चों से होड़ कराना, मॉर्डन बनने के नाम पर बच्चों को देर रात तक अकेले घूमने देना, अपने परम मित्रों द्वारा बच्चों के बारे मे दी गई सलाह को नजरंदाज करना, ये सब हम शायद इसलिये भी करते हैं ताकि हमसे अच्छी परवरिश हमारे बच्चों को मिले या जो सुविधा हमें नहीं मिली वो इन्हे मिले, पर हम पैसे के आगे ये भूल जाते हैं कि पैसा बच्चों को साधन तो दे सकता है पर अच्छे संस्कार नहीं । 

इनका कोमल बचपन जिस राह को सही समझेगा उसी ओर बढ़ जायेगा, आईये इनकी राह को सही दिशा देने की कोशिश करें, बाकी फल तो ऊपर वाले के हाथ में है ।

धन्यवाद ।

मोहित कुमार शर्मा

The CASUALITIES OF CHEAP OIL – Way forward : Jan’15 to Jan’16

 

 
Scenario In January 2015 :

Oil prices have fallen to below $50 a barrel, down from a high of $115 in the past year. American drivers and consumers are cheering at cheaper prices, but the news isn’t great for everyone.

The price drop is squeezing profits at oil and gas producers, forcing them to shut down wells and lay off employees from the North Sea to North Dakota. Schlumberger, the world’s biggest oilfield services provider, said Thursday that it is cutting 9,000 jobs, or about seven percent of its workforce.

The contraction is creating knock-on effects throughout the economy — for example, reducing loan growth at banks in energy-producing states. The oil and gas industry generated around 15 percent of Wells Fargo’s investment banking fee revenue last year, and around 12 percent for Citigroup, according to data from Dealogic.

As long as oil remains below $50 a barrel, the majority of the world’s oil projects will struggle to break even. The chart below, created by Ed Morse and team at Citi Research, shows the break-even cost – the price that a barrel of oil needs to cost for the project to remain profitable – of the major oil projects expected to be online in 2020. The break-even costs for the major oil exporting countries and U.S. shale plays are noted at the left.

The graph 1 suggests that the break-even price for most of those projects is somewhere between $45 and $95 a barrel. At current prices, most of the world’s oil and gas producers are hemorrhaging fantastic amounts of money. Current oil prices are too low to cover the costs of even the world’s cheapest oil producing countries, like Qatar and Kuwait. 

Here’s another visualization (graph-2) of break-even costs by Carbon Tracker, a think tank. The bars represent millions of dollars of capital expenditure, broken down by oil type and break-even price. (For example, the column on the left shows that $3.97 billion of capital expenditure would be at risk in the conventional industry with an oil price above $150 a barrel; if the price falls to between $120 and 150 a barrel, an additional $2.14 billion of investments would be at risk.) Overall, almost $10 trillion of investments are at risk with an oil price below $60 a barrel. It’s hard to say what will happen to these investments. As The Washington Post’s Steve Mufson points out, there is always a significant delay between price signals and actual changes in production and demand in the oil market. The oil industry is like a container ship: massive, expensive and bad at changing directions. According to a note from Barclays, the oversupply could continue to increase in the next several months by as much as 1 million barrels a day.

But if oil prices remain low, companies will eventually respond by cutting exploration and production. Whenever that happens, prices will trend upward once again.

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Info Credits : The Washington Post

Current scenario :

NEW YORK : – Oil markets settled up as much as 6 percent on Monday as speculation about falling U.S. shale output and a rally in equities fed the notion that crude prices may be bottoming after a 20-month collapse.

Prices began the week with a rebound in Asian trade, reacting to Friday’s U.S. rig count data. The number of oil drilling rigs in operation fell to a December 2009 low after nine straight weeks of cuts. [RIG/U]

Oil got a further boost after the International Energy Agency, the world’s oil consumer body, said U.S. shale oil production could fall by 600,000 barrels per day (bpd) this year and another 200,000 bpd in 2017.

IEA executive director Fatih Birol told CERAWeek, an industry gathering in Houston, that crude oil at $80 a barrel would be good for both producers and consumers, although the agency said in a report a strong price rebound was unlikely under present market conditions.

U.S. crude futures CLc1 settled up $1.84, or 6 percent, at $31.48 a barrel, rallying above $32 at one point.

The rally benefited from bids to narrow the discount of the expiring front-month contract in U.S. crude to the second month, traders said. The March CLH6 contract settled almost $2 a barrel lower than April CLJ6, which would be the front-month from Tuesday. On Friday the discount was more than $2.

Futures of Brent LCOc1 finished up $1.68, or 5 percent, at $34.69.

Higher equity prices on Wall Street also supported oil, as shares of oil companies such as Chevron (CVX.N) rose. [.N]

Oil prices have been in a recovery mode since last week after Saudi Arabia and fellow OPEC members Qatar and Venezuela agreed with non-OPEC member Russia to freeze output at January’s highs.

But Iraq, a key member of the Organization of the Petroleum Exporting Countries, said on Monday it planned to raise production to above 7 million bpd over the next five years, and export 6 million bpd of that. Iran, OPEC’s fourth largest producer, has repeatedly pledged to raise its output too to pre-sanctions levels.

OPEC Secretary-General Abdullah a-Badri told CERAWeek that OPEC and non-OPEC producers might take “other steps” to reduce the global supply glut, and that he was willing to speak with U.S. officials.

Despite (23rd Feb’16) gains, some analysts said market conditions were weak, citing weakening demand for crude.

(Info/Research credit : Barani Krishnan/Reuters)

फ्रीडम ऑफ स्पीच से फीयर फॉर लाईफ तक – जरूरत सख्त कानून की ।

हम फ्रीडम ऑफ स्पीच/एक्सप्रैशन से फीयर फॉर लाईफ तक पहुँच गये हैं । कुछ तो सख्त कानून बनाने होंगे जिससे कि एेसे लोगों को सपोर्ट करने वालों को भी कड़ी से कड़ी सजा मिले ।
कोई भी गलत काम चाहे किसी भी जाति या धर्म के लोग करें, उनके बचाव में कोई न उतरे खासकर अवसरवादी पॉलिटिकल पार्टियॉं ।

किसी नागरिक की मौत को दलित, मुस्लिम या किसी विशिष्ट जाति का बताकर गंदी राजनीति न की जाये, कानून को अपना काम करने दिया जाये । देश विरोधी कोई भी छोटी या बड़ी गतिविधि बर्दाश्त न की जाये, चाहे वो देशविरोधी नारेबाजी हो या हिंसक प्रदर्शन ।

सबको धर्म से पहले अच्छा इंसान बनने की जरूरत है ।

अभी हाल में जाट आरक्षण आंदोलन की आड़ में जो हिंसा और विध्वंसक कृत्य किये गये या करवाये गये क्यों कि आंदोलन को जो रूप दिया गया उससे अंदाजा लगता है और कुछ सबूत भी सामने आये हैं कि यह भी किसी पार्टी द्वारा या कुछ लोगों द्वारा एक राजनीतिक साजिश थी पर क्या ये लोग इतने गिर गयें हैं कि अपने घरों को जलाने और अपने प्रदेश को सालों पीछे धकेलने पर आमादा हैं क्या एैसी होती है सत्ता की भूख ?

हाईवेज पर आम नागरिकों के वाहनों को रोककर चुन चुन कर सामूहिक बलात्कार किये गये, जो इस तरह से गाड़ियाँ रोककर बलात्कार करने के दोषी साबित हों उन्हें बिना देरी किये सजाए मौत दी जाये क्योंकि इस तरह से खुलेआम इस तरह के कुकृत्य करने की हिम्मत करना रेयरेस्ट ऑफ रेयर क्राईम की कैटेगरी में आता है और ऐसे लोगों से जो सहानुभूति दिखाये उसे भी उमरकैद दी जानी चाहिये ।

एैसी पॉलिटिकल पार्टियॉं जो राजनितिक कारणों से सदन नहीं चलने देतीं, देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ करती हैं उन्हें बिना देर किये बैन कर देना चाहिये.. जो विकास और भाईचारे की राजनीति करेगा उसका स्वागत हैं, देश की एकता और अंखड़ता से खिलवाड़ बर्दाश्त नही क्या जायेगा ।

जेएनयू में हुई देशविरोधी नारेबाजी, आतंकवादी को शहीद बताना फिर उनके समर्थन में बुद्धिजीवियों का बोलने की आजादी के नाम पर उतरना, जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई हिंसा, आगजनी और अमानवीय कृत्य घोर निंदनीय हैं ।

– मोहित कुमार शर्मा 

आरक्षण – एक बढ़ती हुई होड़, बढ़ता हुआ रोग !


सबको आऱक्षण चाहिये, जब देश में पिछड़ने की होड़ बढ़ जायेगी फिर देश आगे कैसे बढ़ेगा ।
आरक्षण नीति में बदलाव की जरूरत है, गरीब चाहे किसी भी जाति का हो उसे आरक्षण तब तक मिलना चाहिये जब तक उसका परिवार गरीबी से मुक्त न हो जाये ।आरक्षण जातिगत आधार पर लागू ना करके आर्थिक आधार पर दिया जाना चाहिये, इससे देश में सभी जातियों में एकता बढ़ेगी, देश मिलकर आगे बढ़ेगा और वोट बैंक की राजनीति खत्म होगी ।
आज का सच ये है कि आज राजनीतिक पार्टियाँ व्यक्ति को जातिगत वोट के आधार पर देखती हैं जहाँ जिस जाति का वोट बैंक ज्यादा वहाँ उसी हिसाब की राजनीति होती है ।
देश में एकता तभी बढ़ेगी जब सभी जातियाँ एक दूसरे को समान नज़र से देखेंगी और राजनीतिक पार्टियों को आम जनता के जज़्बातों से खेलने का मौका नहीं मिलेगा ।
आरक्षण पर अधिकार किसी जाति का नहीं बल्कि सिर्फ गरीब का होना चाहिये, और समय के अनुसार बदलाव जरूरी है ।
Capability and Merit should be the parameter/criteria for appointments & promotion in Government Sector otherwise that day is not far where we would be looking at Doctors/Engineers and at all other Law and Order posts with great doubts. Do you want yourself to be treated by an incapable Doctor or want to drive your car at a flyover which was constructed under the supervision of an incapable engineer.
Think about it…and show your support for opportunity on merit and capability. Offer reservation economically weaker section irrespective of cast and creed.
Thanks !

— Mohit K Sharma