फ्रीडम ऑफ स्पीच से फीयर फॉर लाईफ तक – जरूरत सख्त कानून की ।

हम फ्रीडम ऑफ स्पीच/एक्सप्रैशन से फीयर फॉर लाईफ तक पहुँच गये हैं । कुछ तो सख्त कानून बनाने होंगे जिससे कि एेसे लोगों को सपोर्ट करने वालों को भी कड़ी से कड़ी सजा मिले ।
कोई भी गलत काम चाहे किसी भी जाति या धर्म के लोग करें, उनके बचाव में कोई न उतरे खासकर अवसरवादी पॉलिटिकल पार्टियॉं ।

किसी नागरिक की मौत को दलित, मुस्लिम या किसी विशिष्ट जाति का बताकर गंदी राजनीति न की जाये, कानून को अपना काम करने दिया जाये । देश विरोधी कोई भी छोटी या बड़ी गतिविधि बर्दाश्त न की जाये, चाहे वो देशविरोधी नारेबाजी हो या हिंसक प्रदर्शन ।

सबको धर्म से पहले अच्छा इंसान बनने की जरूरत है ।

अभी हाल में जाट आरक्षण आंदोलन की आड़ में जो हिंसा और विध्वंसक कृत्य किये गये या करवाये गये क्यों कि आंदोलन को जो रूप दिया गया उससे अंदाजा लगता है और कुछ सबूत भी सामने आये हैं कि यह भी किसी पार्टी द्वारा या कुछ लोगों द्वारा एक राजनीतिक साजिश थी पर क्या ये लोग इतने गिर गयें हैं कि अपने घरों को जलाने और अपने प्रदेश को सालों पीछे धकेलने पर आमादा हैं क्या एैसी होती है सत्ता की भूख ?

हाईवेज पर आम नागरिकों के वाहनों को रोककर चुन चुन कर सामूहिक बलात्कार किये गये, जो इस तरह से गाड़ियाँ रोककर बलात्कार करने के दोषी साबित हों उन्हें बिना देरी किये सजाए मौत दी जाये क्योंकि इस तरह से खुलेआम इस तरह के कुकृत्य करने की हिम्मत करना रेयरेस्ट ऑफ रेयर क्राईम की कैटेगरी में आता है और ऐसे लोगों से जो सहानुभूति दिखाये उसे भी उमरकैद दी जानी चाहिये ।

एैसी पॉलिटिकल पार्टियॉं जो राजनितिक कारणों से सदन नहीं चलने देतीं, देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ करती हैं उन्हें बिना देर किये बैन कर देना चाहिये.. जो विकास और भाईचारे की राजनीति करेगा उसका स्वागत हैं, देश की एकता और अंखड़ता से खिलवाड़ बर्दाश्त नही क्या जायेगा ।

जेएनयू में हुई देशविरोधी नारेबाजी, आतंकवादी को शहीद बताना फिर उनके समर्थन में बुद्धिजीवियों का बोलने की आजादी के नाम पर उतरना, जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई हिंसा, आगजनी और अमानवीय कृत्य घोर निंदनीय हैं ।

– मोहित कुमार शर्मा 

आरक्षण – एक बढ़ती हुई होड़, बढ़ता हुआ रोग !


सबको आऱक्षण चाहिये, जब देश में पिछड़ने की होड़ बढ़ जायेगी फिर देश आगे कैसे बढ़ेगा ।
आरक्षण नीति में बदलाव की जरूरत है, गरीब चाहे किसी भी जाति का हो उसे आरक्षण तब तक मिलना चाहिये जब तक उसका परिवार गरीबी से मुक्त न हो जाये ।आरक्षण जातिगत आधार पर लागू ना करके आर्थिक आधार पर दिया जाना चाहिये, इससे देश में सभी जातियों में एकता बढ़ेगी, देश मिलकर आगे बढ़ेगा और वोट बैंक की राजनीति खत्म होगी ।
आज का सच ये है कि आज राजनीतिक पार्टियाँ व्यक्ति को जातिगत वोट के आधार पर देखती हैं जहाँ जिस जाति का वोट बैंक ज्यादा वहाँ उसी हिसाब की राजनीति होती है ।
देश में एकता तभी बढ़ेगी जब सभी जातियाँ एक दूसरे को समान नज़र से देखेंगी और राजनीतिक पार्टियों को आम जनता के जज़्बातों से खेलने का मौका नहीं मिलेगा ।
आरक्षण पर अधिकार किसी जाति का नहीं बल्कि सिर्फ गरीब का होना चाहिये, और समय के अनुसार बदलाव जरूरी है ।
Capability and Merit should be the parameter/criteria for appointments & promotion in Government Sector otherwise that day is not far where we would be looking at Doctors/Engineers and at all other Law and Order posts with great doubts. Do you want yourself to be treated by an incapable Doctor or want to drive your car at a flyover which was constructed under the supervision of an incapable engineer.
Think about it…and show your support for opportunity on merit and capability. Offer reservation economically weaker section irrespective of cast and creed.
Thanks !

— Mohit K Sharma

Caste based Reservation – an Epidemic

What is the future of poor talented students in India ?
Where people pronouncing “Nature” as “नटूरे” and “Future” as “फुटूरे” are getting every opportunity/waivers in the form of reservation. Must read and share, if you agree : (आशा है आप इसे पूरा पढेंगे एवं सहमत हैं तो शेयर भी करेंगे )-

एक सामान्य वर्ग के गरीब छात्र का मोदी जी के नाम खुला ख़त…

आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी,मैं एक सामान्य वर्ग का छात्र हूँ ! मेरे पिता का देहांत हो जाने की वजह से मेरी माँ को घर चलाने में बहुत दिक्कतें आयीं । मैंने अपने गाँव के सरकारी स्कूल, फिर कॉलेज में पढाई की । सरकारी स्कूल की फीस तक जुटाने में हमे हमेशा दिक्कत होती थी, जबकि मैंने देखा की कुछ वर्ग विशेष के बच्चों को, आर्थिक रूप से संपन्न होने बावजूद भी, फीस माफ़ थी और वजीफा भी मिला करता था। मै पढ़ाई में अच्छा था, इंटरमीडिएट पास करने के बाद मैंने मैडिकल फील्ड चुना । एंट्रेंस एग्जाम के लिए फॉर्म खरीदा 650 रुपये का जबकि वर्ग विशेष के मेरे एक दोस्त को वही फॉर्म 250 रुपये का मिला । उसके पिता डॉक्टर हैं ।

एंट्रेंस एग्जाम का रिजल्ट आया, मेरे उस मित्र के नंबर मेरे से काफी कम थे, पर उसे सलैक्शन मिल गया, मुझे नहीं…। अगले साल मै भी सलैक्ट हुआ । मैंने देखा कि बहुत से पिछड़े जाति के लोग, अनुसूचित जाति-…जनजाति के लोग, जो हर मामले में मुझसे कहीं ज्यादा सुविधा-संपन्न हैं, उनको मुझसे बहुत कम फीस देनी पड़ रही है । उनके स्कॉलरशिप्स भी मुझे मिल रही स्कालरशिप से बहुत ज्यादा है और उनका हॉस्टल फीस भी माफ़ है ।
इंटर्नशिप बीतने के बाद मुझे लगा कि अब हम सब एक लैवल पर आ गए…, अब कम्पटीशन बराबर का होगा । पर मै गलत था । पोस्टग्रेजुएशन के लिए प्रवेश परीक्षा में मेरा विशेष वर्ग का सहपाठी प्रकाश मुझसे काफी कम नंबर पाते हुए मुझसे बहुत अच्छी ब्रांच उठाता है ।
प्रधानमंत्री जी, ऐसा नौकरी के वक़्त भी होगा ।
प्रधानमंत्री जी, मैंने आज तक कोई भेद-भाव नहीं किया । किसी को मंदिर में जाने से नहीं रोका, किसी को कुएं से
पानी पीने से नहीं रोका, किसी से छुआछूत नहीं की, अरे ! हम सब लोग तो साथ-साथ एक थाली में खाना खाते थे, इतिहास में किसने किया, क्या किया उस बात के लिए मै दोषी क्यों ? मुझसे क्यूँ बदला लिया जा रहा है ? मै तो खुद जीवन भर से जातीय भेदभाव का शिकार होता रहा हूँ । क्या ऐसे में मैं जातिवाद से दूर हो पाऊंगा ? ऐसा मै इसलिए पूछ रहा हूँ की जातिवाद ख़त्म करने की बात हो रही है तो जाति के आधार पर दिए जा रहे आरक्षण के होते हुए क्या जातिवाद ख़तम हो पायेगा ?

मुझे कतई बुरा नहीं लगेगा अगर किसी गरीब को इसका फायदा हो, लेकिन मैंने स्वयं देखा है कि इसका 95 प्रतिशत लाभ उन्ही को मिलता है जिन्हें इसकी जरुरत नहीं है । शिक्षित वर्ग से उम्मीद की जाती है कि वो समाज को बँटने से रोके ।
जातिगत आरक्षण खुद शिक्षित समाज को दो टुकड़े में बाँट रहा है ।

प्रधानमंत्री जी, कम से कम इस बात की विवेचना तो होनी चाहिए कि आरक्षण का कितना फायदा हुआ और किसको हुआ ? अगर इसका लाभ गलत लोगों को मिला तो सही लोगों तक पहुचाया जाना चाहिए और अगर लाभ नहीं हुआ तो इसका क्या फायदा, और अगर फायदा हुआ तो फिर 67 सालों बाद भी इसकी जरुरत क्यों बनी हुयी है ?

प्रधानमंत्री जी, ‘जाति के आधार पर दिया जाने वाला आरक्षण’ साफ़-साफ़ योग्यता का हनन है, इससे हर वर्ग की गुणवत्ता प्रभावित हुयी है । अगर जातिगत आरक्षण इतना ही जरुरी है तो फ़ौज में, खेलों में, राजनीतिक पार्टियों के अध्यक्ष के पद में, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के पदों के लिए आरक्षण का प्रावधान क्यों नहीं किया जा रहा है ?

प्रधानमंत्री जी, हमने आपको बहुत ही साहसिक फैसले लेते हुए देखा है । शुद्ध राजनीति से प्रभावित इस मुद्दे पर भी साहसिक फैसले की जरुरत है । उम्मीद सिर्फ आप से है ।
आशा है कि ये पत्र कभी आप तक पहुँचे ।
आरक्षण पर सिर्फ गरीब का हक होना चाहिये चाहे फिर वो किसी भी जाति का हो, इससे जातिवाद खत्म होगा, सभी जातियो में आपसी भाईचारा बढेगा और गंदी राजनीति समाप्त होगी ।
कल्पना कीजिये एैसे समाज की जहाँ कुछ (सब नहीं) नाकाबिल आरक्षण प्राप्त डॉक्टर और इंजीनियर देश के विकास के लिये काम करेंग, न्याय एवं कानून व्यवस्था एेसे लोगों के हाथ में होगी और देश का काबिल टेंलेंट अवसरों के अभाव में अमेरिका या किसी और देश के निरंतर विकास में भाग ले रहा होगा । जैसा कि पिछले १० वर्षों से हो रहा है और आंकड़े इस बात के गवाह हैं ।
आपके देश का एक गरीब सामान्य वर्ग का छात्र और सहमत आम नागरिक ।

धन्यवाद !

Insider Parrots : Breach & Preach

On JNU protest…worth reading !
One day in Soviet Russia, a parrot flies over a village squawking loudly: ‘The Soviet Union is shit! Death to the Communist Party!’. The KGB is rapidly informed, and they start to investigate who owns a parrot in the area. They find out that there is only one parrot owner in the area, so they go and knock on his door.
KGB agents: Hi, do you own a parrot? Man: Yes I do. KGB agents: Could we see it? Man: Certainly, please come in.
They walk in and follow the man to the kitchen. He takes his parrot out of the freezer. The parrot is shivering but still alive.
The startled KGB agents ask: Parrot, what are your views on communism and the Soviet Union? The parrot answers: Long live the Soviet Union, long live the Communist Party!
The KGB agents do not quite know what to make of the fact that the man kept the parrot in the freezer, but since it says nothing controversial they decide to leave it at that.
Once they’re gone, the man turns to his parrot and says: One day in Siberia and you have changed your tune Comrade…..!
Let us put our parrots in the Siachin glacier! 

Reproduced as received.

 

Guilty or not ? Media trial continues…

Now, some section of media and some politicians are trying to prove Umar Khalid is innocent, his father is playing Muslim card….
what kind of joke is this ?? Was that you or me who were raising anti national slogans ?? Shame on you …supporters of this dangerous mentality.Questioning the facts before completion of investigation is not justified … 

Law of land shall prevail !!

  

My hatred !

I hate all the anti nationals who raised slogans against my country and praised the other. I hate all such parties who are going to politicise this serious issue. If such anti national activities are allowed then may God save the harmony of this country ! I hate you Umar Khalid…. & all your partners in this heinous crime of hurting sentiments of peaceful citizens of this country.
I also hate all those trying to cover this by politicising the issue. शर्म करो ।

Standing tough against enemies within, whether alone.
Hindustan Zindabad 👍

गद्दारों को सबक सिखाओ !

मन की बात : ऐसे शिक्षण संस्थानों को बंद करा देना चाहिये जहॉं से देश विरोधी गतिविधियॉं चला कर एक नकारात्मक माहौल बनाया जा रहा है । हिंदुस्तान विरोधी नारा लगाने वाला कोई भी व्यक्ति सच्चा हिंदुस्तानी नही हो सकता ।

आतंकवादियों को शहीद बताने वाले एसे तत्व विधार्थी नहीं बल्कि अपने ही घर/देश में बैठे स्लीपिंग सैल के आतंकवादी हैं । हम सबको एक होकर अपना खुलकर विरोध दर्ज कराना होगा तभी इन पर एक्शन होगा और इनके नापाक (पाकी) मंसूबों पर लगाम लग पायेगी । 

हो सकता है कुछ राजनीतिक पार्टियॉं इस साजिश के पीछे हों … शर्म आनी चाहिये एसे नेताओं और उनके समर्थकों को जो राजनीतिक फायदे के लिये देश को अंधकार की और ले जा रहे हैं ।

इससे ज्यादा टॉलरेन्स ये देश क्या दिखायेगा जहॉं, भारत की बरबादी और पाकिस्तान जिंदाबाद और हजारों अफजल पैदा करने के नारे एक शिक्षण संस्थान में लगाये जा रहे हों …..और नारे लगाने वाले देशद्रोही खुले घूम रहे हैं और न्यूज चैनलों पर टॉक शो में शामिल हो रहे हैं….

जबकि पाकिस्तान में सिर्फ क्रिकेट के खेल में विराट कोहली का समर्थन करने पर एक नौजवान को 10 साल की जेल हो गई ।

ये हमारे देश का दुर्भाग्य है कि सब कुछ जानते और समझते हुये भी कुछ लोग राजनीतिक कारणों, सत्ता के लोभ के कारण इसका विरोध नही कर रहे…. वहीं आम समर्थवान जनता या उच्चपदों पर आसीन लोग इसको अनदेखा कर रहें हैं क्योंकि वो नही चाहते कि उनकी जिंदगी में या उनके किसी ऐशो आराम में कोई कमी हो । पर वो ये नही जानते कि देर सवेर ये बात उनकी गर्दन पर भी आयेगी पर तब तक बहुत देर हो चुकी होगी…

देश विरोधी लोगों/राजनेताओं/शिक्षण संस्थानों को कोई माफी नहीं ।

अपने आने वाले कल को बिगड़ता में नहीं देख सकता, आप देख सकते हैं तो अंत तक चुप रहिये । 

सच्चे देशवासियो जागो और कम से कम गलत का विरोध करो ।

हिन्दुस्तान जिंदाबाद । जय हिंद ।

मन की बात – An open letter to our respected Prime Minister !

माननीय प्रधानमंत्री एवं प्रधानसेवक श्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी जी,

जब से आपकी सरकार आई है, मैं ओर मेरे जैसे हजारों भाई, भारी आर्थिक मंदी से गुजर रहे हैं, अगर मैं कुछ काम कर पा रहा हूँ तो वह मेरे अपने व्यवहार के कारण है अन्यथा, हमारे सैक्टर में कार्य बिल्कुल नहीं है ।
हम नुकसान उठा रहें है, हममें रोष भी है परन्तु हम जानते हैं कि आप जो कार्य कर रहें हैं और जो नीतियों में बदलाव ला रहे हैं उनका फायदा आने वाले समय में मिलेगा और यह बात हर किसी भारतीय के समझ में आना थोड़ा मुशकिल है क्यों कि गलती उनकी भी नहीं है बल्कि हम सब भारतीयों को धोखा खाने की आदत हो गई है । हम बार बार उसी को वोट देते हैं जो वादा करके हर बार मुकर जाते हैं । हमारे युवा आज डॉक्टर, इंजीनियर कम बल्कि राजनेता ज्यादा बनना चाहते हैं, क्योंकि राजनेता बनना भारत में बहुत आसान है, नैगेटिव प्रचार करो, बड़े लोगों पर इल्जाम लगाओ, पब्लिक को इमोश्नल ब्लेकमेल करो और रातोंरात राजनेता बन जाओं । मेरे बहुत से युवा मित्र कई राजनितिक पार्टियों में सालों से यही कर रहे हैं, वो खुद से पूछकर देखें कि वो क्या कर रहें हैं, क्यों कर रहें हैं, किसके इशारे पर कर रहे हैं और उसका देश को क्या फायदा हो रहा है तो शायद उन्हें जबाव मिल जाये ।
भारतवासियों की सबसे बड़ी कमजोरी उनका इमोश्नल होना, कान का कच्चा होना और प्रैक्टिकल ना होना है जिसका फायदा ज्यादातर राजनितिक पार्टियाँ बरसों से उठा रहीं हैं
मैं ज्यादा लम्बा ना बोलकर सिर्फ यह कहना चाहूँगा कि आपके रूप में इस देश को विकास की एक नई उम्मीद जागी है और हम देशवासी अब और किसी पर भरोसा करना नहीं चाहते, हम आपको पूरा समय और सहयोग दे रहे हैं, आप काम करते रहिये, जो आपके खिलाफ हैं वो भी एक दिन आपके कार्यों द्वारा आने वाले सकारात्मक रिजल्ट की प्राप्ति पर आपके साथ हो जायेंगे और दोगुली नीति पर चलने वाली राजनीतिक पार्टियाँ बेनकाब हो जायेंगी ।
आपकी शान में दो शेर एक आपकी तरफ से देश के लिये पढ़ रहा हूँ और एक आपके समर्थकों की तरफ से आपकी खिलाफत करने वालों के लिये पढ़ रहा हूँ…. 
आपकी तरफ से अर्ज किया है :
“”संभाल के खर्च करता हूँ “खुद” को दिनभर, हर रात “आयना” मेरा हिसाब करता है ।।””
यहाँ “आयना” आपकी खिलाफत करने वाले हैं ।
अब आपके समर्थकों की तरफ से आपकी खिलाफत करने वालों के लिये अर्ज किया है :
“तुम सामने आये तो अजब तमाशा हुआ, हर शिकायत ने जैसे खुदकुशी कर ली ।।”

We are with you and will support you for the development of our nation, till the end. Keep working, ignore frustrated opposition, forget about support, its increasing day by day.
जय हिंद । जय भारत ।।